अमृतसर, 9 जून(ACN):- गुरु नानक देव अस्पताल उत्तर भारत का ऐसा पहला सरकारी अस्पताल बन गया है जिसने 13 वर्षीय बच्चे की पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी इंटरवेंशन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर स्थापित किया है। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर श्रीमती साक्षी साहनी ने बताया कि डॉक्टर सुनीत ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत उनके ध्यान में लाया कि एक 13 वर्षीय बच्चा दुर्लभ हृदय रोग से पीड़ित है। यह बीमारी 10 लाख बच्चों में से केवल एक को होती है और इसका ऑपरेशन अत्यंत आवश्यक था। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इस मामले में गुरु नानक देव अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परविंदर सिंह से बात की गई। डॉ. परविंदर सिंह ने जांच के बाद बताया कि “साइनस वेनोसस एएसडी (Sinus Venosus ASD)” जो कि “पार्शियल एनॉमलस पल्मोनरी वेन कनेक्शन (PAPVC)” से जुड़ी होती है, एक दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग है। इस रोग से पीड़ित मरीजों को अक्सर सांस लेने में दिक्कत, विकास में बाधा और ऊपरी श्वसन तंत्र के बार-बार संक्रमण का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक रूप से इस रोग का इलाज सर्जरी द्वारा होता है जिसमें कार्डियो-पल्मोनरी बायपास (CPB) की आवश्यकता होती है और यह प्रक्रिया अक्सर एसए नोडल डिसफंक्शन और रिसाव जैसी जटिलताओं से भरी होती है। यह जन्मजात हृदय रोग दुनिया भर में केवल 2% बच्चों में ही पाई जाती है। डॉ. परविंदर सिंह द्वारा इस बच्चे की दुर्लभ बीमारी की सर्जरी की गई और अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। इस अवसर पर डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने बताया कि रेड क्रॉस की सहायता से इस दुर्लभ सर्जरी को संपन्न कराया गया और अब यह बच्चा इस बीमारी से मुक्त हो चुका है। डिप्टी कमिश्नर द्वारा रेड क्रॉस की सहायता से 2.5 लाख रुपये का चेक अस्पताल को प्रदान किया गया। उन्होंने बच्चे से मुलाकात भी की और उसे अपनी शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विधायक डॉ. अजय गुप्ता भी विशेष रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने इस कार्य के लिए रेड क्रॉस और डॉक्टरों का धन्यवाद किया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि गुरु नानक देव अस्पताल उत्तर भारत का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया जिसने इस अनोखी बीमारी का सफल इलाज किया है। डॉ. गुप्ता ने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परविंदर सिंह, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव देवगन, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. आई.पी.एस. ग्रोवर और समस्त नर्सिंग स्टाफ का धन्यवाद करते हुए कहा कि आपकी कोशिशों की बदौलत ही इस बच्चे की जान बच पाई है। आप सभी प्रशंसा के पात्र हैं जिन्होंने अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी और लगन से निभाई।