गुलशन शर्मा लुधियाना
एसीएन
पंजाब में जिस तरह आम आदामी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की व अपनी सरकार बनाई । उसके बाद संगरूर लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह लोगों ने तीन माह के भीत्तर मुंह फेर कर करारी हार का सामना करवाया उस हिसाब से लोगों के मन से आम आदमी पार्टी उतरने लग पड़ी है। आज दिन तक ऐसा कभी नहीं हुआ की तीन माह में लोग इतना बड़ा बहुमत दें आैर खुद मुख्यमंत्री के अपने पुराने लोकसभा हल्के में हाल जाए । वहीं आगामी पंजाब निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी कैसे जीतेगी यह उन्हें मंथन करने की जरूरत है।
वहीं दूसरी आैर आम आदमी पार्टी ने अन्य पार्टीयों के पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल करवाना शुरू कर दिया है इससे उनकी खुद की पार्टी के वर्करों में नाराजगी पैदा हो गई है। अब तो आप के वर्कर व नेता साफ कहने लगे हैं कि अब दूसरी पार्टीयों आैर इनमें क्या फर्क है , जिससे आप में अब से ही गुटबाजी शुरू हो गई है आप के हर शहर की हर वार्ड में पहले से ही 10-10 दावेदार हैं उपर से जो पार्षद शामिल हो रहे है उससे आप के अंदर का हाल बहुत बुरा हो रहा है।
अधिकारी कर रहे नजरअंदाज
निगमों एवं नगर पंचायतों में अधिकारी आप वर्करों एवं नेताओं को नजरअंदाज करने लग पड़े हैं। पहले जिन लोगों के आसानी से काम होते थे उनके अब काम बंद होने शुरू हो गये हैं अधिकारी ईमानदारी का पाठ पढ़ा कर आप नेताओं एवं वर्करों को निराश लौटा देते हैं वहीं दूसरी पार्टी के नेताओं के वैसे के वैसे काम है रहे हैं।
मां पार्टी कहने वाले भी छोड़ रहे पार्टी
अकसर कहा जाता है कि जिसकी सरकार होती है उसकी निकाय में नगर पालिका बनती है इसी को लेकर जो लोग अपनी मां पार्टी कहा करते थे वह उन्हें अपने पर्सनल भविष्य के लिए उसे छोड़ रहे हैं कि उन्हें उस पार्टी से पार्षद की टिकट मिल जाए ,लेकिन पता नहीं कि आप किन पैमानों पर निकाय चुनावों में
टिकटे देगी क्या जो शामिल हुए है उन सभी को टिकटे मिलेगीं।