जालंधर (ACN): गुरु पूर्णिमा का दिन भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने-अपने गुरु का खासतौर पर पूजन करते व उनका आशीर्वाद लेते हैं। असल में, गुरु ही हमें सही राह पर चलने का संदेश देते हैं। वे हमें परमात्मा से मिलाने का काम करते हैं। ज्योतिषशास्त्र अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर इस शुभ तिथि को मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस शुभ दिन से जुड़ी खास बातें…
गुरु पूर्णिमा की तिथि
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 2 जुलाई 2023, रात 8.21 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 3 जुलाई 2023, शाम 5.8 मिनट तक
उदय तिथि 3 जुलाई होने पर इसे इस दिन ही मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसी के साथ दान देना, पूजा करने से भी लाभ मिलता है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त आरंभ- 3 जुलाई 2023- सुबह 5.27 मिनट से 7.12 मिनट तक
इसके बाद सुबह 8.56 मिनट से 10.41 मिनट तक
दोपहर में 2.10 मिनट से 3.54 मिनट तक आप पूजा कर सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर बन रहे शुभ संयोग
इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सूर्य व बुध की युति होने से बुधादित्य राजयोग बन रहे हैं। ऐसे में इस साल की गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान करने के बाद साफ व नए कपड़े पहनें। घर के मंदिर में पूजा करें। अपने गुरु की प्रतिमा में माला डालें। वर्ना गुरु घर जाकर उनकी पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करें। उन्हें भेट स्वरुप फल, कपड़े, मिठाई व दक्षिणा दें। जिन लोगों के गुरु गद्दी छोड़ गए हैं वे उनकी चरण पादुका का पूजन करें। बता दें, जिन लोगों के गुरु नहीं है वे इस दिन गुरु का नाम भी लेते हैं।