गुरदासपुर,पाकिस्तान (ACN): पंजाब में आई बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। वहीं इस पानी के बहाव के कारण आए दिन पुल व बांध टूटने व कई ईमारतें ढहने की भी खबरें सामने आ रही है। ऐसे में ही भारत-पाक सीमा के पास पड़ते अंतिम गांव जाहमन से इस समय एक बड़ी खबर आ रही है।
ढह गया ऐतिहासिक गुरुद्वारा
मिली जानकारी के अनुसार, वहां के ऐतिहासिक गुरुद्वारा रोडी साहिब पर सदियों से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। बताया जा वह गुरुद्वारा बीते दिनों हुई तेज बारिश में ढह गया है। बता दें, इस गुरुद्वारे को महाराजा रंजीत सिंह के शासन काल में तैयार किया गया था। इस गुरुद्वारे के स्थान पर सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने 3 बार अपने चरण डाले थे।
1947 में गुरुद्वारे की जमीनों पर हुआ था अवैध कब्जा
मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारियों की लापरवाही व 1947 में सिखों ने जब यह इलाका छोड़ दिया था तब गुरुद्वारे की जमीनों पर अवैध कब्जा हो गया था। इसी कारण बीते दिनों पहले आई तेज बरसात कारण यह गुरुद्वारा ढह गया। बताया जा रहा है कि इस गुरुद्वारे को करीब 500 कनाल में तैयार किया गया था। इसके आगे के भाग में बना विशाल सरोवर आज भी है। इसमें नानकशाही ईंटों से 2 मंजिला ईमारत तैयार की गई थी। इसके शिखर पर एक बड़ा गुबंद भी था। मगर बरसात के कारण सिर्फ गुरुद्वारा की बैक साइट की एक दीवार का कुछ हिस्सा ही बच पाया है। वहीं गुबंद व गुरुद्वारे के अंदर व आगे का भाग ढह गया है। इसके अलावा बता दें, गुरुद्वारे की ज्यादातर जमीन पर भूमाफिया लोगों ने कब्जा कर लिया है।
गुरुद्वारे के पास रहने वाले लोगों ने लगाया आरोप
गुरुद्वारा ढह जाने के बाद इसके नजदीक रहने वाले एक व्यक्ति मोहम्मद सदीक ने आरोप लगाते कहा कि कुछ भूमाफिया लोगों ने इसपर अवैध कब्जा कर रखा था। इसी के साथ गुरुद्वारे में जाने वाले रास्ते पर भी गहरा गड्ढा खोदा गया था ताकि इसका रास्ता बंद हो सके। आगे उसने बताया कि वे लोग पास के लिदड़ गांव के निवासी है।
गुरुद्वारे की हालत देखने नहीं पहुंचा कोई प्रबंध कमेटी का मैंबर
बता दें, गुरुद्वारा ढह जाने के बाद भी अभी तक पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी व प्रमुख सिख इसे देखने अभी तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में यह अपने आप में ही एक निंदनीय बात है।